Saturday, January 10, 2009

मेंधर में शर्मनाक सैन्य पराक्रम

जिस प्रकार से ३१ दिसम्बर से ८ जनवरी तक लगभग ९ दिन तक कश्मीर के मंधेर में सेना और आतंकियों के मध्य एक लम्बी मुतभेड बे नतीजा समाप्त हो गयी और सभी आतंकी सुरक्छित भाग निकलने में सफल रहे, उससे भारतीय सेना का गौरवपूर्ण इतिहास कलंकित हुआ है। वैसे यह विषय अति संवेदनशील है परन्तु मुतभेड के समाचार जिस प्रकार प्रारंभ से ही प्रसारित होते रहे उसके पश्चात जनता को उसके परिणाम जानने और समीक्छा कराने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। समाचारों में निरंतर बताया जा रहा था की मुतभेड में तीन भारतीय जवान शहीद होगये और चार आतंकी भी ढेर कर दिए गए, तथा ८-१० आतंकियों के और होने की संभावना है जिन्हें किसी भी हाल में भागने नही दिया जाएगा। सेना विशेष रणनीति के तहत तेज आक्रमण नहीं कर रही है और कमान्डोस को भी नही उतारा जा रहा है। बाद में पता चला केवल तीन भारतीय सैनिक शहीद हुए है और कोई आतंकवादी न तो मारा गया और ना ही जिन्दा पकड़ा गया, सभी सकुशल भागने में सफल हुए। क्या यही हमारी रणनीति थी? उन्हें भागने के लिए सुरक्छित मार्ग दे दिया जाय। कहें उन आतंकियों के सम्बन्ध कुछ अति विशिष्ठ व्यक्तियों से तो नहीं रहे, जिनके पकड़े जाने से भारतीय राजनीति में भूचाल आने की संभावना थी, अतएव उन्हें भाग जाने दिया गया। या भारत पर कोई अंतर्राष्ट्रीय दवाब तो नही था? कारण जो भी हो इससे भारत की जनता और सेना का मनोबल गिरा है। जो राष्ट्र अपने घर में घुसे थोड़े से आतंकियों का कुछ नहीं बिगड़ सका वह उनके छेत्र में घुस कर उन पर कार्यवाही कैसे करेगा। इस प्रकार की किसी कार्यवाही के लिए इस्राइल जैसा शाहस और श्री लंका जैसी प्रतिबद्धता चाहिए। संभवतः हमारे राष्ट्र नेता इस बात को जानते हैं और अपनी कमजोरी को पहचानते हैं इसीलिये पाकिस्तान के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही ना करके केवल बातों के गोले दाग रहे हैं और दूसरे राष्ट्रों पर निर्भर हैं। कल्पना करते हैं कोई दूसरा राष्ट्र भारत के लिए पकिस्तान को दण्डित करेगा और आतंकवादियों पर लगाम लगायेगा।

1 comment:

Prakash Badal said...

लिखते रहें खूब लिखें। आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।