हरियाणा के पूर्व उप मुख्य मंत्री चन्द्र मोहन अपनी पहली पत्नी एवं बच्चों के रहते हुए दूसरा विवाह करने के लिए इस्लाम स्वीकार करके चन्द्र मोहन से चाँद मोहम्मद बन गए क्यों कि हिन्दू कानून इस प्रकार की लम्पटता की अनुमति नहीं देता है जबकि इस्लाम में एक साथ चार-चार विवाह करने की छूट है। इसी छूट का लाभ लेने के लिए चन्द्र मोहन ने इस्लाम स्वीकार किया। यह कार्य उन्होंने पहली बार किया है ऐसा नही है इसके पूर्व भी समय समय पर लोग इस सुविधा का लाभ उठाते रहे है। धर्मेन्द्र - हेमामालिनी की घटना तो सभी को स्मरण होगी। चाँद मोहम्मद का इस्लाम स्वीकारना तो समझ में आता है परन्तु अनुराधा बाली को क्या सूझा था? उन्हें क्या मिला अनुराधा से फिजा बन कर? चाँद मोहम्मद को तो चार बीबी एक साथ रखने का असीमित अधिकार मिल गया और जब किसी से मन भर जाए जो अति निर्विकार भाव से उसे तीन बार तलाक कहना है। ना तो कोई कानूनी अड़चन ना कोई गुजारे भत्ते का झंझट। हरम में स्थान खाली हो गया उसे यदि किसी हसीना पर मन आ जाए तो उससे फिर भर लो। परन्तु अनुराधा को क्या मिला? सुना है वो पढी लिखी हैं कानून की जानकार है; परन्तु उनके सर पर इश्क का भूत कुछ ऐसा सवार हुआ कि किसी की बसी बसाई गृहस्थी उजाड़ने में भी संकोच नही लगा। अब वो फिजा बन गयी हैं अब उनके समस्त अधिकार छीन गए हैं, ना तो वो अपनी इक्षा से तलाक दे सकती हैं और ना गुजारे भत्ते की मांग कर सकती हैं और ना ही एक पतेके होते दूसरा आदमी रख सकती हैं । चाँद मोहम्मद का जब तक मन चाहेगा उनके जिस्म से खेलेगा और जब मन भर जायेगा कोई दूसरी हसीना अपने हरम में ले आएगा, यदि इन्होने विरोध किया तो तीन बार तलाक का आसन मार्ग खुला है। विवाह के मात्र ५० दिन पश्चात ही संभवतः फिजा जी इस सत्यता से परिचित हो गयी हैं और इसी लिए उन्होंने आत्महत्या का मार्ग चुनने का प्रयाष किया परन्तु असफल रही आख़िर उस पत्नी की आहें भी तो पीछा कर रही होंगी जिसकी अच्छी खासी गृहस्थी इन्होने उजाड़ी है।
मुस्लिम उलेमा जहाँ छोटी छोटी बातों पर नित नए नए फतवे जारी किया करते हैं क्या उन्हें यह दिखायी नही देता है कि लोग किस प्रकार अपनी लम्पटता और कुत्सित वासनाओं की पूर्ति के लिए इस्लाम का सहारा लेते हैं, क्या यह सब इस्लाम में जायज है?
2 comments:
एक घृणित प्रेमकथा.
कृपया लिखना बंद मत कीजिये. आपकी अगली पोस्ट की प्रतीक्षा है.
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