Monday, December 1, 2008

नेता उवाच

मुंबई में आतंकी हमले से तो बहादुर जवानो ने दो दो हाथ कर लिए और उन्हें परास्त भी कर दिया अब बारी है नेताओं की जो अपनी असंयत वाणी से जले पर नमक छिड़क रहे हैं वास्तव में उन लोगों से इससे अधिक की अपेच्छा भी नही की जासकती है यह इस राष्ट्र का दुर्भाग्य है कि हम वर्त्तमान में इस राष्ट्र के अनाचारी, भ्रस्टाचारी एवं अयोग्य कर्णधारों के अनाचार को सहने के अतिरिक्त कुछ भी नही कर सकते चुनाव में भी आपको प्रस्तावित उम्मीदवारों में से किसी एक को चुनने की बाध्यता होती है और चुनाव में कोई सदाचारी व्यक्ति उम्मीदवार हो ही नही सकता यदि किसी ने ऐसा दुस्साहस किया तो उसको मोक्छ प्रदान कर दिया जाएगा जनता को चाहिए इन राजनीतिज्ञों का सामाजिक बहिस्कार करें, उनके किसी भासड को सुनने ना जायें, उनके आने पर उनका स्वागत ना करें, उनसे बात ना करें और चुनाव आयोग को बाद्य करें कि चुनाव प्रक्रिया में सुधार करते हुए मत पत्र में एक और खाना इनमें से कोई नही का बनाए और यदि किसी छेत्र में इस खाने में ३०% या अधिक मत दान हो जाए तो सभी प्रत्यासियों को अगले ६ वर्स के लिए किसी भी चुनाव के अयोग्य ठहरा दिया जाय तो शायद जनता के हाथ में कुछ ताकत आए

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