Monday, December 29, 2008

चुनाव सुधार

आज जनप्रतिनिधियों की अराजकता एवं गुंडा गर्दी जिस प्रकार बढ़ गयी है, उससे जन सामान्य अत्यधिक भयभीत और असुरक्छित अनुभव करता है, उसकी एक बानगी बसपा विधायक शेखर तिवारी द्वारा मुख्य मंत्री मायावती के जन्म दिन पर देने के लिए चन्दा ना देने पर एक अभियंता की पीट पीट कर हत्या कर देना है रक्छक ही भक्छक बन गया है, यथा राजा तथा प्रजा, इसीलिये चारों ओर अपराध, अत्याचार और अनाचार का बोल बाला है ,इसके लिए जन प्रतिनिधि कानून में कठोर प्राविधान बना कर इन नेताओं पर अंकुश लगाना परम आवश्यक है, उसके लिए निम्न सुझाव प्रस्तुत है
  1. सभी को मत देना आवश्यक कर दिया जाय परन्तु उसके पूर्व मत पत्र में 'इनमें से कोई नही ' का खाना जोड़ा जाय और यदि इस खाने में ३०% या अधिक मत पड़ जाएँ तो उन सभी प्रत्यासियों को अगले ६ वर्स के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाय
  2. इनको मात्र जन प्रतिनिधि ही रहने दिया जाय, इनका वशेष रूतबा और सभी विशेष अधिकार तथा सुविधाएं समाप्त कर दी जाय
  3. हर महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व के लिए योग्यता निर्धारित कर दी जाय और मंत्री से लेकर संतरी तक सभी की जवाब देही सुनिश्चित की जाए
  4. जन प्रतिनिधियों को महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व देने के पूर्व उनकी योग्यता, चरित्र एवं आपराधिक प्रवृत्ति की सूछ्म जांच कराई जाय तथा उनकी एवं उनके निकट सम्बन्धियों की चल अचल संपत्ति की अति सूछ्म जांच कराई जाय और वह उत्तरदायित्व छोड़ने पर पुन्हा जांच कराई जाय यदि जांच बाद में ग़लत पायी जाय तो जांच अधिकारी के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जाय
  5. विकास निधि आदि तत्काल समाप्त कर दी जाय और इनको पेंशन केवल उन्ही को प्रदान की जाय जो लगातार १५ वर्स तक जन प्रतिनिधि रहा सकें

मुंबई हमलों के पश्चात जो लोगों का क्रोध उत्पन्न हुआ था उसे बनाए रखा जाना आवश्यक है, यदि ये सुझाव ठीक है तो आप विद्वान् और प्रभावशाली लोग इन्हे और धार दार बना कर अपने प्रभाव का प्रयोग कर प्रचारित करें और राष्ट्रपति, चुनाव आयुक्त तथा मुख्य न्यायाधीश को व्यक्तिगत रूप से नए वर्स में करोड़ों करोड़ों पोस्टकार्ड भेज कर दवाब बनाए और एक स्वास्थ चर्चा सम्पूर्ण राष्ट्र में करें, अन्यथा वह दिन बहुत दूर नही है जब जनसामान्य का धैर्य छूट जायेगा और सम्पूर्ण राष्ट्र एक अराजकता की चपेट में आजायेगा

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