Friday, December 26, 2008

निरीह या चालाक सरकार

मुंबई आतंकी आक्रमण को एक माह व्यतीत हो गया जनता का नेताओं के प्रति क्रोध भी ठंडा पड़ने लगा है अंतुले ने जिस प्रकार पाकिस्तान के राष्ट्रपति के स्वर में स्वर मिला कर इस घटना में पाकिस्तान का हाथ होने पर संदेह व्यक्त किया है और केन्द्रिय सत्ता ने उसे सामान्य तरीके से टालने का प्रयास किया वह अंतुले को सही सिद्ध करता हुआ लगता है क्या यह वोट बैंक के भय के कारण हुआ है, क्या समस्त मुस्लिम समाज अंतुले के विचारों से सहमत है निश्चित नहीं क्यों की इस आतंकवादी घटना के विरुद्ध जिस प्रकार सम्पूर्ण राष्ट्र एक साथ उठ खड़ा हुआ उसमें मुस्लिम समाज और उलेमा भी थे, यहाँ तक की आतंकियों के मृत शरीर को कब्रिस्तान में स्थान देने तक से भी मना कर दिया उसके पश्चात मुस्लिम समाज के अंतुले के साथ होने का कोई प्रश्न ही नही उठता है फिर सरकार अंतुले के विरुद्ध कार्यवाही करने में क्यों हिचक रही है कहीं इस आतंकी घटना के पीछे यहाँ के प्रभाव शाली नेताओं के ही हाथ तो नहीं है और अंतुले के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही करने से उसके खुल जाने का भय हो उस दिन ताज होटल में चार सांसदों का होना और सभी का सुरक्छित बच जाना और अंतुले के विरुद्ध कोई कार्यवाही ना करना इस शंका को बलवती करता है जिस प्रकार नोट के बदले वोट में अहमद पटेल और अमर सिंह को नामित किया गया था, परन्तु लग रहा था की वहा विपक्च्छ का ड्रामा है परन्तु संसदीय कमेटी द्वारा दोनों आरोपियों को बगैर विशेष जांच के दोषः मुक्त कर दिया गया और किसी को भी दोषी नही ठहराया गया उससे लगता है की यह कार्य सत्ता बचाने के लिए सत्ता पक्छ के प्रभावशाली नेताओं के निर्देश पर ही किया गया होगा उसी प्रकार महगाई, मंदी, शेयर बाजार की उथल पुतल, महाराष्ट्र में राज ठाकरे की गुंडा गर्दी, हिन्दू आतंकवाद को आवश्यकता से अधिक दिखाना और बिहार के सांसदों के स्तीफे से चारों ओर से दवाब में आई सरकार के पास जनता का ध्यान मुख्य समस्याओं से हटाने के लिए यह आतंकी आक्रमण करवाया गया हो, जिसमें कुछ हद तक सरकार सफल भी रही है और इस सबकी जानकारी अंतुले को रही हो

1 comment:

Varun Kumar Jaiswal said...

ये सरकार निरीह नहीं है बल्कि चालाक है |